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आदिम जनजाति भी अब जागरूक Tribes

1I did not know that family planning are prohibited for tribes. But I am happy that they are also conscience towards family planning. Aware in the scene that this kind of technology is available. I can not say exactly but I know that many go for this kind of treatment due to poverty.
आदिम जनजाति भी अब जागरूक
Published on Jan 12 2010 at 12.34AM Retrieved on 10.15AM
प्रतापपुर (चतरा)। झारखंड विलुप्त प्राय जनजातीय समूह की महिलाएं भी अब परिवार नियोजन के प्रति जागरूक होने लगी है। भले ही सरकारी स्तर पर इनके बंध्याकरण पर प्रतिबंध लगा हुआ है। स्वास्थ्य विभाग और स्वयंसेवी संस्था सूर्या क्लीनिक द्वारा प्रतापपुर में आयोजित महिला बंध्याकरण आपरेशन शिविर में भितहा गांव से विलुप्त प्राय जनजातीय समूह बैगा जनजाति की पांच महिलाएं बंध्याकरण आपरेशन करवाने पहुंची थी। चिकित्सकों व आयोजकों ने जब आपरेशन करने से इंकार कर दिया तो इन महिलाओं ने उन्हें खूब खरी खोटी सुनाई। सोनिया बैगिन, कलावती बैगिन, जहरी बैगिन, रजिया बैगिन व बंधिवा बैगिन की बातों से लग रहा था कि वे परिवार की बढ़ती संख्या के बारे में चिंतित कम हैं। उन्हें आपरेशन कराने के बाद छह-छह सौ रुपए मिलेंगे। इन छह सौ रुपयों से घर का गुजारा कुछ दिन चलेगा। अथवा उनमें परिवार नियोजन के प्रति सचमुच की चेतना जागी है। समझना मुश्किल है। सरकार द्वारा बिरहोर, बैगा समेत कई विलुप्त प्राय जनजातीय समूह संरक्षण व संवर्धन के लिए अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। प्रतापपुर के हिंदिया कला गांव में वर्ष 2008 भूखजनित बीमारी से एक साथ नौ बिरहोरों के मरने की घटना के बाद तत्कालीन शिबू सोरेन की सरकार ने 35 किलो प्रतिमाह मुफ्त अनाज देने की घोषणा की थी। इसके अलावा इनके संपूर्ण विकास के लिए कई अन्य योजनाएं चलाई गई। परंतु इनकी हालत ज्यों कि त्यों बनी हुई है। संयोग से 2010 में पुन: शिबू सोरेन मुख्यमंत्री बने हैं। ये विलुप्त प्राय जनजाति के लोग अभी भी शिबू सरकार की ओर से टकटकी लगाए हुए हैं।

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