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Dimpal Yadav Bhabhi w/o Bhaiya Akhilesh Yadav d/o Mulayam Yadav says डिम्पल भाभी जी ने कहा - देखो ये है वोटर आइ०डी० (voter ID) सबको मत देने का बराबर अधिकार है|

  • देखो ये है वोटर आइ०डी० (voter ID) सबको मत देने का बराबर अधिकार है| एक व्यक्ति एक मत| तुम सब भी वोट देना| वोटर आइ०डी० का मतलब यह भी है कि तुम सब न सिर्फ अपना प्रतिनिधि चुन सकते हो बल्कि चुनाव लड़ कर प्रतिनिधि भी बन सकते हो| भारत के सभी नागरिक बराबर हैं|
  • ये तो पुराणी बाते हो गई|
  • भाभी डिम्पल यादव (पत्नी भैया अखिलेश यादव, पुत्र वधु मुलायम सिंह यादव) अब सांसद बन गई हैं| भाभी जी के काम ही ऐसे थे कि किसी ने हिम्मत ही नहीं हुई की कन्नौज से चुना लडने की| मेरा मतलब ये नहीं था कि किसी ने "समाजवादी गुंडों" (ऐसे गुंडे जो समाज में समरसता लेन का प्रयास करते हैं), के डर से चुनाव नहीं लड़ा, मेरा मतलब यह भी नहीं था कि कोई भाभी जी के खिलाफ क्यों नहीं लड़ा| बल्कि सच यह है कि भाभी जी की बात ही कुछ ऐसी है कि, कन्नौज से कोई प्रतिनिधि बनाने की हिम्मत ही नै कर सकता था|
  • ओह! रे! लगता है आप भीर कनफुजिया गए जी| आपने समाचार पत्र नहीं पढ़ा था, कि कैसे कन्नौज के गली-कुचे से वाहनों में खुद को ठूंस-ठूंस कर समाजवादी पार्टी के कार्यालय पर गए थे कि हमरी प्रतिनिधि तो 'हमर बहुरिया है", "हमर भौजाई है" "हमर जेठानी है" "हमर सरहज है" और न जाने क्या क्या, ही बनेगी? इनकी तो छोडिये, उसमें वो भी थे जिन्हें कल उनके लिए [ही] मत (वोट) देना है| चाहे-अनचाहे में अजन्मे भी आये थे| आखिर इन्हें भी तो उन्ही को वोट देना है न?
  • इससे कई बाते साबित होती है| पहली ये की हमें खुश होना चाहिए कि समाज प्रगति कर रहा है| देखिये न, बात डिम्पल की तरह बहुत ही सिंपल है| पहले पति के चले जाने के बाद कैसे उसके संपत्ति पर सब की निगाहें गिद्ध जैसे रहती थी? उसकी पत्नी को कितना संघर्ष करना पढता था? लेकिन कन्नौज में जो हुआ वह प्रगतिशील ममता था! वहाँ क्या हुआ? अरे, मत पूछो पूरी जनता कहने लगी, कि इसपर तो सिर्फ अखिलेश यादव के लुगाई का ही हक, बनता है! अगर किसी ने इधर (टूरिस्ट निगाह से भी) देखने की कोशिस की तो आठो आख बहार! (हम दो हमारे दो = आठ आंख)| समाज की इस प्रगतिशीलता से बहुरिया को पूरा हक मिल गया|
  • कन्नौज में ये कोई आज की परंपरा भी नहीं है| लोहिया के वारिस मुलायम सिंह यादव, उनके वारिस (वालिद के कारन नहीं बल्कि अपनी क्षमता के कारन) अखिलेश यादव, और अब उनके न रहने पर भाभी डिम्पल यादव [आपके रिश्ते भाभी से अगल भी हो सकते है, कृपया पता कर लें]|
  • समाज में कुछ रश्म भी होते हैं| उसकी अदायगी तो करनी ही पड़ती है| आप अगर बहुत क्रन्तिकारी भी है तो भी सभी पुराने रश्म थोड़े न खरन होते हैं? अब देखिया न मुह दिखाई की बात ही ले लिजिय| बहु जब से घर आई है, बस गली-गलौज, क्या ये सब अच्छा लगता है? जापान को कौन नहीं जनता? जापानियों ने एक फिल्म बनाई है - "Devil Can be Cry" इसका माने हिंदी जुबान में हुआ - "शैतान भी रो सकता है"| पता है मैंने यह उदहारण क्यों दिया? देखिय अगर आप सब विपछियाँ को शैतम मानते है तो, भी यह तो मानना ही पढ़ेगा कि बहु के घर आते ही गली-गलौज छिंटा-कसी करते-करते खुद ही नहीं उकतीया जायगा? और अगर आप यह मान लेतें है कि वे सब शैतान नहीं है तो आपको तो मानना ही पड़ेगा, कि बहु को मुह दिखाई कुछ-ना-कुछ देना ही था? 
  • हद हो गई जी, आप ऐसे काहे का सोचने लगे कि मुह दिखाई देने में इतना देर क्यों?
  • आप अपने दिन भूल गए? चलिय आप बहुत औकात वाले हिंगे, माफ किजियागा, मैं अपनी बात कहता हूँ| अगर किसी दोस्त-दुश्मन का शादी-वियाह आदि होता है तो हमलोग पैसा इकठ्ठा कर के, कुच्छो, हां जी कुच्छो, और कुछ तो बताने लायक भी नहीं है, गिफ्ट दे मारते हैं. इससे उसे भी गिफ्ट का कीमत ज्यादा जान पडता है, कि देखो सबने मिल कर दिया है| अपनी जेब भी कम हलकी होती है| (वैसे कभी लगता है साला ऐसा तो नहीं सोच रहा होगाम कि पैसा बचने के चक्कर में हम सबने पैसा मिला-मिला कर एक ही गिफ्ट दे दिया? या हमने से कोई ये कह दे कि सारे पैसे तो उसी ने दिए है बाकि तो बाद 10-10 वो भी बहुत कहने पर, और वो भी मेरे चलते|)
  • लगता है मामला विषयान्तर हो रहा है, है ना? तो लिजिय मानले पर आते हैं| और आ भी गए| ये सब इतने बड़े-बड़े समाजवादी है, मतलब पूरा-का-पूरा परिवार ही खंडन समाजवादी है| तो मुह दिखाई भी तो खास ही होना चाहिय ना?
  • अब लो [उनकी]बहु [मेरी भाभी], विधान सभा सिट मांग रही थी| सब ने कहा ना बिलकुल नहीं मिलेगा| वो थोड़ी नाराज हो गई| [उनकी]बहु [मेरी भाभी] समझ नही पा रही थी| अब उसे कौन समझाये की घर के बड़े-बुजुर्ग अपनी डिम्पल बहु को बड़ा गिफ्ट देना चाह रहे थे?
  • इसलिय इस बार सभी ने मिलकर बहु को मुहदिखाई के रश्म के तौर पर लोक सभा की सिट दे दी| जैसा की होता है कुछ लोगो को जलन भी होता है| इसमें मायके पछ और ससुराल पछ दोनों तरफ के हो सकते है| अतः ऐसे दो कुटिल/बदमाश लोगो को अपने-अपने पछ वालो ने समझा लिया|
  • आप तो जानते ही हैं एक -दो लाइन में मुझे कोई बात कहना आता ही नहीं है. लेकिन कहने की कोशिस करें तो यही ना कहेंगे कि ना सिर्फ पड़े बुजुर्ग (कुच्छ लोग इसे पार्टी कहते हैं) और उनके घर के बाकि सभी सदस्य (इसको जाता बोलते है न) सब ने मिलकर बहु को लोक सभा सिट गिफ्ट किया| है कि नहीं?  और अगर आप दूसरे टाइप के आदमी है तो मैं भीर से कहना चाहूँगा, कि समाज सकारात्मक रूप से परिवर्तित हुआ है. ससुर साहब ने अपना दिल बड़ा करते हुए, बहु की दिली इच्छा को संजीदगी से पूरा किया. कहा पुराने ज़माने में ससुर बहुयो को सताते थे? [लेकिन अंदर बात यह भी है कि बाकि बहुयो को इससे जलन हो रही है. किसी को बताइयेगा नहीं. यह भी बताया जा रहा है, कि ससुर जी दूसरे सीटों कि तलास में हैं, वो समाजवादी है, बाकि बहुओं के साथ ना इंसाफी नहीं होने दो जायगी]
  • इस हंशी-खुशी के माहौल में गलती से मेरा फेसबुक को हैक कर के किसी ने लिख मारा, जो बहुत गलत है, और इसके लिया मैं जिम्मेवार नहीं हूँ -
  • "भाभी डिम्पल यादव (पत्नी भैया अखिलेश यादव, पुत्र वधु मुलायम सिंह यादव) सांसद बन गई हैं! कृपया बताएं, इस रणविजय के लिए वो किसका और कैसे आभार प्रगट करेंगी?"

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