Culture of Anti Reservation / Anti Social Justice P P Rao and Indiresan
यह पता चला है कि सर्वोच्च न्यायलय के जाने मने वकील पीपी राव, अपने पोते के उपनयन संकार कल उनके निवास नोयडा में करवाने जा रहें है. याद हो कि उपनयन संस्कार ब्राह्मणों में बच्चो की ब्राह्मण धर्म -दीक्षा और ब्रह्मण बनाने की विधि है. हिंदू धर्म के अनुसार यह मन जाता है, कि ब्राह्मण जन्मजात पैदा नहीं होता बल्कि वह उपनयन के पश्चात ब्राह्मण घोषित होता है. यह उपनयन सस्कार सिर्फ और सिर्फ ब्राह्मनी के पेट से पैदा हुए पुत्र के लिए ही सिमित होता है. यह संकार ब्राह्मण के अलावा दूसरे लोग जैसे शूद्र को करने पर हिंदू धर्म में शक्त मनाही है. यह संकार को वेदों के पुरुष शुक्त से सम्बंधित माना जाता है. पुरुष शुक्त भारत में असमता की जननी और असमानता का स्रोत है. डा. आंबेडकर के हिसाब से भारत में यह असमानता का सबसे बड़ा कारन है. अब यहाँ महत्पूर्ण होगा कि पीपी राव ने P. V. Indiresan केस में सर्वोच्च न्यायलय में OBC आरक्षण विरोधी केस में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. यहाँ तक कि मुक़दमा उनके पक्ष में करने के लिए जजो को बदलने की कोशिस भी कि है. यह महाशय घोर सामाजिक न्याय विरोधी है. अब यह अपने अपने पोते को ब्राह्मण बनाने जा रहे है. यही महाशय न्यायमूर्ति दिनाकरन जो दलित समाज से आते है उनके खिलाफ जांच समिति के सदस्य थे और दिनाकरन ने इन्हें समिति से हटाने के लिए एक यचिका दायर की थी.
इसी महाशय को भारत की मीडिया Imminent Jurist कहती है. तो आप बताएं कि यह Imminent Jurist कितना ब्राह्मणवादी और जातिवादी है.
URL - OBC Admissions Case Referred to CJI for Posting Before Another Bench http://www.thehindu.com/news/national/article2300060.ece
URL - OBC Admissions Case Referred to CJI for Posting Before Another Bench http://www.thehindu.com/news/national/article2300060.ece
Note - Later on OBC reservation case was again refereed to it's original bench, bench of Justice Ravindran and Patnayak, and judgement come in the favor of reservation on August 2011
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