समान पेंशन की कानूनी लड़ाई हारे गोरखा सैनिक
http://in.jagran.yahoo.com/news/international/general/3_5_6097662.html Jan Jan 12, 2010 09.39PM
लंदन। ब्रिटिश फौज के लिए जंग लड़ चुके पूर्व गोरखा सैनिक ब्रिटेन की अदालत में अपनी ही लड़ाई हार गए। पूर्व गोरखा सैनिक ब्रिटिश सैनिकों के समान पेंशन पाने के लिए मुकदमा लड़ रहे थे।
ब्रिटिश अदालत ने इस मामले में ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय के पक्ष को सही करार देते हुए गोरखा सैनिकों की मांग खारिज कर दी।
ब्रिटेन की सशस्त्र सेनाओं में वर्ष 1997 से पहले तक काम कर चुके लगभग 24 हजार गोरखा सैनिकों और नेपाल में रहने वाले उनके आश्रितों की ओर से ब्रिटिश गोरखा वेलफेयर सोसायटी [बीजीडब्ल्यूएस] ने यह मुकदमा दायर किया था। इन गोरखा सैनिकों को ब्रिटेन के अपने समकक्ष सैनिकों की तुलना में एक तिहाई पेंशन मिलती है। मुकदमा का फैसला अपने खिलाफ जाने पर सोसायटी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, 'गोरखा सैनिकों के साथ अन्याय जारी है।' बीजीडब्ल्यूएस के अध्यक्ष मेजर टिकेंद्र दीवान ने कहा कि इस फैसले के बावजूद उनका संगठन संघर्ष जारी रखेगा और जरूरत पड़ी तो यूरोपीय मानवाधिकार अदालत तक भी जाएगा।
ब्रिटिश अदालत ने इस मामले में ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय के पक्ष को सही करार देते हुए गोरखा सैनिकों की मांग खारिज कर दी।
ब्रिटेन की सशस्त्र सेनाओं में वर्ष 1997 से पहले तक काम कर चुके लगभग 24 हजार गोरखा सैनिकों और नेपाल में रहने वाले उनके आश्रितों की ओर से ब्रिटिश गोरखा वेलफेयर सोसायटी [बीजीडब्ल्यूएस] ने यह मुकदमा दायर किया था। इन गोरखा सैनिकों को ब्रिटेन के अपने समकक्ष सैनिकों की तुलना में एक तिहाई पेंशन मिलती है। मुकदमा का फैसला अपने खिलाफ जाने पर सोसायटी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, 'गोरखा सैनिकों के साथ अन्याय जारी है।' बीजीडब्ल्यूएस के अध्यक्ष मेजर टिकेंद्र दीवान ने कहा कि इस फैसले के बावजूद उनका संगठन संघर्ष जारी रखेगा और जरूरत पड़ी तो यूरोपीय मानवाधिकार अदालत तक भी जाएगा।
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