भारतीय-संस्कृति में पत्नि (नारि) के लिए पति (नर) देवता तुल्य माना गया है...देवता-पति से तात्पर्य ऐसे पुरुष से है जो कि अपनी पत्नी को सुख एवं संतुष्टि प्रदान करता है...भारतीय-संस्कृति की एक और रोचक बात यह है कि ये देवता समान पति तभी प्राप्य होते हैं, जबकि स्त्री को श्रन्गारित कर, पूजा करके (जहाँ पूजा से आशय दहेज़ है) पुरुषों को समर्पित किया जाता है...तब जाके ये पुरुष देवता बन जाते हैं...अन्यथा तो राक्षस प्रवृत्ति दर्शाते हैं (दहेज़-प्रताड़ना व घरेलू-हिंसा के आँकडें अवश्य देखें या फिर अपने आस-पास की घटनाएँ देख लें) ! इसी सन्दर्भ में एक श्लोक भी काफ़ी चर्चित है : "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:" अर्थात् जहाँ नारियों की पूजा की जाती है, वहाँ देवता निवास करते हैं...(श्लोक मनु-स्मृति से संकलित है) ! पुनः बता दूँ कि यहाँ नारी-पूजा से तात्पर्य उनके साज़-शृंगार एवं दान से है ! आप जितनी अधिक सुंदर-कन्या एवं जितना अधिक धन दान में अथवा दहेज़ में देंगे, आपकी बहन-बेटी को उतना ही अच्छा देवता-पुरुष मिलेगा...! अब आप ही विचार करें कि दहेज़-प्रथा का मूल स्त्रोत क्या है एवं स्त्रियों के विरुद्ध दमनकारी नीतियों का उद्भव का केन्द्रा बिन्दु कहाँ है...? [1]
"यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:" अर्थात जहाँ पूजा की हुई अर्थात् सुंदर-सुसज्जित (सुन्दर=?) , धन-धान्य से परिपूर्ण लड़कियाँ या स्त्रियाँ रहती हैं, वहाँ देवता बनने को आतुर-बेअतुर, लड़के या पुरुष चक्कर लगाते हैं...!!!
(संभव है, यह विश्लेषण और स्रोत आपके गुरु द्रोण द्वारा नहीं बताया गया होगा.)
[1] द्वारा Satyendra Humanist https://www.facebook.com/profile.php?id=100001427102096; Posted at Group - Absolute Zero https://www.facebook.com/groups/114011658701868/ ; at 18 09 2011 01:28AM
नोट- नारी की पूजा की बात मनुस्मृति के अध्याय ३, श्लोक ५६ में कहा गया है. नारी की पूजा क्या है श्लोक ५५ में कहा गया है. आनिल
"यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:" अर्थात जहाँ पूजा की हुई अर्थात् सुंदर-सुसज्जित (सुन्दर=?) , धन-धान्य से परिपूर्ण लड़कियाँ या स्त्रियाँ रहती हैं, वहाँ देवता बनने को आतुर-बेअतुर, लड़के या पुरुष चक्कर लगाते हैं...!!!
(संभव है, यह विश्लेषण और स्रोत आपके गुरु द्रोण द्वारा नहीं बताया गया होगा.)
[1] द्वारा Satyendra Humanist https://www.facebook.com/profile.php?id=100001427102096; Posted at Group - Absolute Zero https://www.facebook.com/groups/114011658701868/ ; at 18 09 2011 01:28AM
नोट- नारी की पूजा की बात मनुस्मृति के अध्याय ३, श्लोक ५६ में कहा गया है. नारी की पूजा क्या है श्लोक ५५ में कहा गया है. आनिल
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