कुछ लोगो ने संस्कृति का ठेका ले रखा है. और कहते है, की यही संस्कृति है, यही मूल्य है, यही प्रतिक है, बल्कि कहिये यही राष्ट्रीय प्रतिक है, छेड़-छाड किया तो देशद्रोह.
यार मै पूछता हूँ की इसका ठेका / टेंडर कब निलकता था? साला हमको पता कईसे नहीं चला? अगली बार हम भी टेंडर भरेंगें. कृपया सूचित करें.
यार मै पूछता हूँ की इसका ठेका / टेंडर कब निलकता था? साला हमको पता कईसे नहीं चला? अगली बार हम भी टेंडर भरेंगें. कृपया सूचित करें.
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